
नवदेहली। भारतस्य निवर्तमानः राष्ट्रपतिः रामनाथकोविन्दः रविवासरे पदत्यागात् पूर्वं सायं ७वादने राष्ट्रं सम्बोधितवान्। अस्मिन् समये सः अवदत् यत् देशस्य जीवन्तं लोकतान्त्रिकव्यवस्थायाः बलं प्रणामं करोमि। अहं सौभाग्यशालिनी अस्मि यत् अहं ५ वर्षाणि यावत् भारतस्य राष्ट्रपतित्वेन कार्यं कृतवान्। ५ वर्षपूर्वं भवतः निर्वाचितप्रतिनिधिभिः माध्यमेन अहं राष्ट्रपतिः निर्वाचितः अभवम्। अद्य मम राष्ट्रपतित्वस्य कार्यकालः समाप्तः भवति। यूयं सर्वे तव च निर्वाचितप्रतिनिधिभ्यः अस्माभिः हार्दिकं धन्यवादं प्रकटनीयम्।
अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं। pic.twitter.com/aQzzBebBq3
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भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का राष्ट्र के नाम संबोधन शुरू।#RamNathKovind pic.twitter.com/kuOAUqy7RM
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रामनाथकोविन्दः देशस्य १४ तमे राष्ट्रपतिः आसीत् । २०१७ तः २०२२ पर्यन्तं तस्य कार्यकालः आसीत् । देशं सम्बोधयन् सः अवदत् यत् मयि विश्वसितानां सर्वेषां देशवासिनां कृते अहं कृतज्ञतां प्रकटयामि। राष्ट्रपतिकार्यकाले प्रत्येकं वर्गात् पूर्णसमर्थनं प्राप्तम्। अद्य देशः स्वातन्त्र्यस्य अमृतपर्वम् आचरति।
आज से पांच साल पहले, आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था। मैं आप सभी देशवासियों के प्रति तथा आपके जन-प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। pic.twitter.com/n2ioAeXVQ8
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विंशतिशतकस्य आरम्भे कतिपयेषु दशकेषु अस्मिन् देशे बहवः व्यक्तित्वयुक्ताः नेतारः उत्पन्नाः इति मम सर्वदा दृढं विश्वासः अस्ति। अस्माकं पूर्वजाः अस्माकं आधुनिकराष्ट्रस्य निर्मातारः च स्वस्य परिश्रमेण, सेवाभावेन च न्यायस्य, स्वतन्त्रतायाः, समानतायाः, भ्रातृत्वस्य च आदर्शान् साक्षात्कृतवन्तः आसन् । अस्माभिः केवलं तेषां पदचिह्नानि अनुसृत्य अग्रे गन्तुं भवति।
Mother Nature is in deep agony and the climate crisis can endanger the very future of this planet. We must take care of our environment, our land, air and water, for the sake of our children. pic.twitter.com/cpcKuYfN1R
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कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा राम नाथ कोविन्द आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं। pic.twitter.com/uwFpd5DZAN
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रामनाथकोविन्दः सम्बोधनस्य समये अवदत् यत् अहं स्मरामि यदा अहं राष्ट्रपतिकार्यकाले स्वजन्मग्रामं गत्वा मम विद्यालयस्य वृद्धशिक्षकैः सह मिलितवान्। आशीर्वादं प्राप्तुं तस्य पादौ स्पृशन् मम जीवनस्य एकः स्मरणीयः क्षणः आसीत् । भारतीयसंस्कृतिः अस्मान् स्वमूलैः सह सम्बद्धं भवितुं शिक्षयति।
अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गाँव या नगर तथा अपने विद्यालयों तथा शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें। pic.twitter.com/mX3ErR8tSW
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अहं युवानां पीढीभ्यः निवेदयामि यत् स्वग्रामेण, नगरेण, विद्यालयेन, शिक्षकैः च सह सम्पर्कं स्थापयितुं एतां परम्परां निरन्तरं कुर्वन्तु। एतेन सह सः अवदत् यत् अहं विशेषतया तान् अवसरान् स्मरिष्यामि यदा मम सशस्त्रसेनानां, अर्धसैनिकसेनानां, पुलिसानाञ्च वीरजवनैः सह मिलितुं अवसरः प्राप्तः। तस्य देशभक्ति-उत्साहः यथा आश्चर्यजनकः तथा प्रेरणादायकः अपि अस्ति ।
मैं सभी देशवासियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। भारत माता को सादर नमन करते हुए मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।
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जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है। pic.twitter.com/O21Em0XTed
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21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। pic.twitter.com/4wjHFnHtSR
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हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है। pic.twitter.com/0UDgLUtBt8
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संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है। pic.twitter.com/yGU1YlSjwR
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तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुकर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक – ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है। pic.twitter.com/wcn5g5DAHA
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उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नयी आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। pic.twitter.com/Xf1KF0xPwE
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